रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है? रक्षा बंधन आने वाला है यह जान कर बहुत से बहनो के चहरे पर ख़ुशी के झलक नजर आएगा क्योकि ये त्यौहार ही ऐसे है और जो की भाई-बहन के रिस्ता अनमोल होता है
इसे शब्दो में बयान नहीं किया जा सकता है.ये रिस्ता इतना ज्यादा पवित्र और अनमोल होता है जिसे इस रिश्ते को पुरे भारत सामान करता है raksha bandhan special बहन के लिए होता है जिसे वे इस बेसब्री से इंतजार करती है|
ऐसे में बहुत से कम ही लोग होंगे जिसे पता नहीं होता है की रक्षा बंधन क्या है?रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है? happy raksha bandhan
भाई-बहन के रिस्ता एक अनमोल रिस्ता होता है जिसे पूरी दुनिया इस इतना ज्यादा सामान देती है की मैं आप से क्या कहु आप खुद ही जानते होंगे वही पर बात करे तो अपने देश कैसे इससे पीछे हट सकते है
ऐसे में बहुत से कम ही लोग होंगे जिसे पता नहीं होता है की रक्षा बंधन क्या है?रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है? happy raksha bandhan
भाई-बहन के रिस्ता एक अनमोल रिस्ता होता है जिसे पूरी दुनिया इस इतना ज्यादा सामान देती है की मैं आप से क्या कहु आप खुद ही जानते होंगे वही पर बात करे तो अपने देश कैसे इससे पीछे हट सकते है
जिसे भारत को संस्कृति को भूमिका मना जाता है और भारत देश में ही इसे रिश्ते को पहचान दिया है और इस रिस्ता के इतना ज्यादा महत्व है जिसे हम त्यौहार के रूप में मानते है जी हाँ मैं रक्षा बंधन इन हिस्ट्री की बात कर रहा हूँ|
इस त्यौहार में भाई-बहन के प्यार और भी मजबूत हो जाता है यह त्यौहार special हिन्दू को है जिसे भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देश जैसे की नेपाल में भी भाई बहन के प्रतीक रक्षा बंधन मनाये जाता है रक्षा बंधन सावन माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो हमेश यह पर्व अगस्त के महीने में ही आता है
इस पर्व के बारे में हम सभी को अच्छी से जानना चाहिए अगर आप इसके बारे में नहीं जानते है तो आप इस पोस्ट के माधयम से रक्षा बंधन की जानकारी आप हिंदी में जान पाएंगे
तो मैं सोचा की क्यों न इसके ऊपर एक अच्छी से जानकारी लिखी जाये जिससे पढ़ कर आप रक्ष बंधन के बारे में जानकारी हासिल कर पाएंगे.और रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है? आप जान पाएंगे
रक्षा बंधन क्या है?
मैं रक्षा बंधन के बात करू तो रक्षा बंधन दो सब्दो से मिल कर बना होता है "रक्षा" और "बंधन" इस पर्व के संस्कृत भाषा के नियमानुसार होता है,रक्षा बंधन के एक ऐसे बंधन जो की हमेश रक्षा प्रदान करता हैयहाँ पर मैं रक्षा के बारे में बात करू तो रक्षा हमेशा प्रदान करना होता है.और "बंधन" के मतलव होता है एक मजबूती गांठ,एक धागा जो की रक्षा प्रदान करता है.
ये दोनों सब्द मिलाने से भाई बहन के एक प्रतीक होता है और ये बंधन खून के रिश्ते को ही नहीं बल्कि ये एक पवित्र रिश्ते को जताता है और ये त्यौहार आता है
ये दोनों सब्द मिलाने से भाई बहन के एक प्रतीक होता है और ये बंधन खून के रिश्ते को ही नहीं बल्कि ये एक पवित्र रिश्ते को जताता है और ये त्यौहार आता है
तो सभी बहन के चेहर पर खुसी के ठिकाना नहीं होता है क्योकि ये पर्व आने से भाई को याद दिलता है की अपने बहन को रक्षा करना होता है
भारतीय परम्परा के अनुसार बहन जब अपने भाई के कलाई में राखी बांधने जाती है तो अपने थाली में दिया,रोली,मिठाई,चावल और राखी ले करके जाती है और अपनी देवी को पूजा करती है और अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है
राखी क्या है?
राखी एक कच्चा धागा है जिसे हमें उस धागे को पवित्र धागा मानती है भारतीय नियम के अनुसार ये धागा लोहे से भी मजबूत मान जाता है क्योकि ये रिस्ता ही कुछ ऐसा हैभारतीय परम्परा के अनुसार बहन जब अपने भाई के कलाई में राखी बांधने जाती है तो अपने थाली में दिया,रोली,मिठाई,चावल और राखी ले करके जाती है और अपनी देवी को पूजा करती है और अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है
रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है?
अक्सर ये सवाल आपके मन में उठता होगा की रक्षा बंधन कैसे बनाया जाता है? रक्षा बंधन क्यों मानते है? असल में ये पर्व इस लिए मनाया जाता है की भाई बहन के प्रति कर्तव्य जाहिर करता हैवही पर ये त्यौहार सगी भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री या पुरुष इस पर्व को समझाता हो या जनता हो इस पर्व को पालन कर सकता है/
इस त्यौहार के अवसर पर,बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है और भगवन से यह मांगती है की मेरे भाई को हमेश कुश,स्वस्थ रखे
इस त्यौहार के अवसर पर,बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है और भगवन से यह मांगती है की मेरे भाई को हमेश कुश,स्वस्थ रखे
और वही पर भाई अपने बहन को एक raksha bandhan gifts प्रदान करता है और अपनी बहन को वचन देता है की किसी भी मुशीबत में मैं आपके हमेशा रक्षा करूंगा.
और इसके साथ में भाई भगवान से कहता है की मेरी बहन को लम्बी उम्र और स्वस्थ रखे तथा मेरी बहन के चहरे पर हमेश मुस्करात रहे
और इसके साथ में भाई भगवान से कहता है की मेरी बहन को लम्बी उम्र और स्वस्थ रखे तथा मेरी बहन के चहरे पर हमेश मुस्करात रहे
इस त्यौहार को पालन कोई भी भाई बहन कर सकता है इसमें कोई भेद भाव नहीं है सायद आप मेरी बात समझ गए होंगे की मैं क्या कहना चाहता हु/
रक्षा बंधन के इतिहास
यह त्यौहार पुरे भारत में मनाया जाता है इसमें कोई भेद भाव नहीं है क्योकि इस पर्व को धनि गरीब सभी खुसी से मानते है लेकिन इस त्यौहार की तरह रक्षण बंधन के भी इतिहास हैऐसे कहानी जो की कभी लोकप्रिय है तो आइये ऐसे रक्षा बंधन की कहानी की विषय में जानते है की वे कोण से कहानी है.
कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
लोगो की रक्षा करने के लिए कृष्ण ने घमंडी राजा शिशुपाल को मरना पड़ा जब कृष्ण जी ने लड़ते लड़ते उनके अंगूठा में चोट लग गयी
कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
लोगो की रक्षा करने के लिए कृष्ण ने घमंडी राजा शिशुपाल को मरना पड़ा जब कृष्ण जी ने लड़ते लड़ते उनके अंगूठा में चोट लग गयी
और उसके अंगूठा से खून बहाने लगा तो उसे देख कर द्रौपदी ने अपने वस्त्र को फार कर उनके अंगूठा बांध दिए और उसके जो खून बह रहा था तो उसको रोक दिए
भगवन श्रीकृष्ण ने यह देख कर द्रौपदी से प्रसन्न हुए और उनके साथ एक भाई बहन के रिश्ते बना लिए और श्रीकृष्ण ने वजन दिए की समय आने पर मैं आपके हमेशा साथ दूंगा.
कभी समय बीतने जब द्रौपदी को कुरु सभा के जुए में खेल कर हार गया हरने के बाद कवरो के राजकुमार दुसाशन ने द्रौपदी के चिर हारन करने लगा तो इसी दवारन श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा की और उसकी इज्जत बचाई थी/
संतोषी माँ की कहानी
भगवन विष्णु के हुए दो पुत्र शुभ और लाभ और इन दोनों भाई एक बहन की चिंता सताती थी क्योकि वे जानते थे की बहन के बिना रक्षा बंधन नहीं मन सकते थे
भगवन श्रीकृष्ण ने यह देख कर द्रौपदी से प्रसन्न हुए और उनके साथ एक भाई बहन के रिश्ते बना लिए और श्रीकृष्ण ने वजन दिए की समय आने पर मैं आपके हमेशा साथ दूंगा.
कभी समय बीतने जब द्रौपदी को कुरु सभा के जुए में खेल कर हार गया हरने के बाद कवरो के राजकुमार दुसाशन ने द्रौपदी के चिर हारन करने लगा तो इसी दवारन श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा की और उसकी इज्जत बचाई थी/
संतोषी माँ की कहानी
भगवन विष्णु के हुए दो पुत्र शुभ और लाभ और इन दोनों भाई एक बहन की चिंता सताती थी क्योकि वे जानते थे की बहन के बिना रक्षा बंधन नहीं मन सकते थे
तब इन दोनों भें ने सोचा की क्यों न गणेश भगवान से एक बहन मांगी जाये तो जैसे ही कुछ समय बिता तो नारद ने पुत्री के बारे में गणेश जी से कहे तब भगवान गणेश ने राज़ी हुए और एक पुत्री की कामना किये
गणेश जी के दो पुत्री रिद्धि और सीधी तब दिव्य ज्योति से माँ संतोषी का अविर्भाव हुआ इसके बाद माँ संतोषी के साथ रक्षा बंधन शुभ और लाभ माना सके
राजा बलि और माँ लक्ष्मी की कहानी
असुर स्मार्ट के राज बलि भगवान विष्णु के बहुत बाद भगत था राज़ बलि विष्णु भगवान को पसन् करने के लिए तप करने लगा तभी भगवन विष्णु ने प्रसन्न हो कर विष्णु ने राज़ बालो के राज्य के रक्षा खुद करने लगे
गणेश जी के दो पुत्री रिद्धि और सीधी तब दिव्य ज्योति से माँ संतोषी का अविर्भाव हुआ इसके बाद माँ संतोषी के साथ रक्षा बंधन शुभ और लाभ माना सके
राजा बलि और माँ लक्ष्मी की कहानी
असुर स्मार्ट के राज बलि भगवान विष्णु के बहुत बाद भगत था राज़ बलि विष्णु भगवान को पसन् करने के लिए तप करने लगा तभी भगवन विष्णु ने प्रसन्न हो कर विष्णु ने राज़ बालो के राज्य के रक्षा खुद करने लगे
ऐसे में माता लक्ष्मी बहुत ज्यादा निराश होने लगी क्योकि विष्णु जी बैकुंठ पर नहीं रहते थे
तभी माता लक्ष्मी ने राज़ बलि के महल में रहने के लिए गयी और रहने लगी और राज़ बलि के हाथ में राखी बांध दी तभी बलि ने उसे अपनी बहन मन लिया और कुछ देने को कहा लेकिन ये पता नहीं था
तभी माता लक्ष्मी ने राज़ बलि के महल में रहने के लिए गयी और रहने लगी और राज़ बलि के हाथ में राखी बांध दी तभी बलि ने उसे अपनी बहन मन लिया और कुछ देने को कहा लेकिन ये पता नहीं था
की वे औरत कोई और नहीं बल्कि माता लक्ष्मी तो उसके मांगने के अवसर दिया
तो माता लक्ष्मी ने राज़ बलि से भगवान विष्णु को वापस लोटने को कहा यानि की राज़ बलि से बोली की मेरे पति को बैकुंठ लौटने को अवसर दो तो बलि ने माता लक्ष्मी को पहले से बहन मान लिया था तो उसके किये हुए वादा कैसे तोड़े इसलिए भगवान विष्णु को वापस कर दिया
महाभारत की राखी
भगवान कृष्ण ने युधिसीटर को सलाह दिए की आपकी सेना को बचने के लिए उनको राखी को उपयोग अवसय करना चाहिए तभी कुंती ने यह बात सुन कर युद्ध से पहले ही अपने नाती कोहाथ में राखी बांध दी
याम और यमुना की कहानी
लोक कथा के अनुसार यान की देवता यानि यमराज करिबे 12 वर्ष के थे तो अपनी बहन यानि की यमुना के पास नहीं गए थे यमुना के पास उसके भाई नहीं जाने पर वे काफी दुखी थी
तब यम ने गंगा जी के परामर्श अपनी बहन के पास जाने के लिए निश्चित किया जब यम ने अपनी बहन के पास गए तो उसकी बहन यमुना बहुत खुस हई और यम ने अपनी बहन को बहुत ख्याल रखा
और इस पर खुश हो करके यम ने बोलै की जमुना तुम्हे क्या चाहिए इस पर यमुना ने बलि मुझे आप से बार बार मिलने को दिल करता है इस पर यम ने उसकी इक्सपूर्ति किया इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो गयी
रानी कर्मवती और सम्राट हुमायु की कहानी
यह कहानी उस समय की कहानी है जिस समय राजपूत को लड़ने के लिए मुसलमान के राजयो ने उसको लड़ने पर मजबूर किया तब अपनी राज्य को बचने के लिए उसको एक सुझाव
तो माता लक्ष्मी ने राज़ बलि से भगवान विष्णु को वापस लोटने को कहा यानि की राज़ बलि से बोली की मेरे पति को बैकुंठ लौटने को अवसर दो तो बलि ने माता लक्ष्मी को पहले से बहन मान लिया था तो उसके किये हुए वादा कैसे तोड़े इसलिए भगवान विष्णु को वापस कर दिया
महाभारत की राखी
भगवान कृष्ण ने युधिसीटर को सलाह दिए की आपकी सेना को बचने के लिए उनको राखी को उपयोग अवसय करना चाहिए तभी कुंती ने यह बात सुन कर युद्ध से पहले ही अपने नाती कोहाथ में राखी बांध दी
याम और यमुना की कहानी
लोक कथा के अनुसार यान की देवता यानि यमराज करिबे 12 वर्ष के थे तो अपनी बहन यानि की यमुना के पास नहीं गए थे यमुना के पास उसके भाई नहीं जाने पर वे काफी दुखी थी
तब यम ने गंगा जी के परामर्श अपनी बहन के पास जाने के लिए निश्चित किया जब यम ने अपनी बहन के पास गए तो उसकी बहन यमुना बहुत खुस हई और यम ने अपनी बहन को बहुत ख्याल रखा
और इस पर खुश हो करके यम ने बोलै की जमुना तुम्हे क्या चाहिए इस पर यमुना ने बलि मुझे आप से बार बार मिलने को दिल करता है इस पर यम ने उसकी इक्सपूर्ति किया इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो गयी
रानी कर्मवती और सम्राट हुमायु की कहानी
यह कहानी उस समय की कहानी है जिस समय राजपूत को लड़ने के लिए मुसलमान के राजयो ने उसको लड़ने पर मजबूर किया तब अपनी राज्य को बचने के लिए उसको एक सुझाव
सूझ और वे राखी बांधने की फैसला किया जिसमे भाई अपने बहन को रक्षा करता है तो उस समय में चितोड़ की रानी कर्मवती थी जो की वे विधवा थी
और ये सुन कर गुजरात के सुल्तान बहादुर साह ने उस पर हमाल कर दिया ऐसे में रानी कर्मवती ने अपनी राज्य को बचने में न काम हो गयीतो रानी कर्मवती ने हुमायु सम्राट को राखी भेजा अपनी रक्षा करने के लिए तभी हुमायु सम्राट ने अपनी बहन को रक्षा करने के लिए अपन चितोड़ सेना भेजा tab युद्ध हुआ तो सुल्तान बहादुर साह के सेना पीछे हट गया
सम्राट एलेग्जेंडर और सम्राट पुरु
यह त्यौहार यानि की राखी के पर्व 300BC के कहानी है yah कहानी उस समय की है जब एलेग्जेंडर जब अपनी पुरे सेना लेकरके जब भारत में आया था तो उस समय सम्राट पुरु के बहुत बोलबाल थी यह देख कर या सुन कर काफी परेशान हो गए थे
क्योकि वे कभी किसी से हरा नहीं था तब एलेग्जेंडर ने सम्राट पुरु को लड़ने के लिए ललकारा यह सुन कर स्मार्ट पुरु ने लड़ने के लिए त्यार हो गए तभी लड़ने में अलेक्साडेर की सेना हार गया
तो वे कभी चिंता में थे तो alexander के पत्नी को राखी को जैसे ही पता चला तो वे रखे सम्राट पुरु के पास भेज दिया जिससे सम्राट पुरु अपनी बहन के कभी सुहाग न उजाड़ पाए इस लिए जो युद्ध होना था वे नहीं हुआ ऐसे एलेग्जेंडर को जान से ना मर पाए.
इंद्रदेव की कहानी
इंद्र भगवान स्वर्ग के राजा थे और वे अपनी राज बहुत अच्छे से चलते थे तभी की महर्षि ने कहा की भविष्य में असुर के राज़ राज़ बलि आपके ऊपर अकर्मण कर्जा जिससे आपके बहुत ज्याद शती होगा थी वैसे ही हुआ
अभी यह देख कर इंद्र भगवान के पत्नी सच्ची ने विष्णु भगवान के पास गयी तभी विष्णु ने इस समस्या के समाधान बताये तब विष्णु ने इंद्र के पत्नी सच्ची को एक धागा दिया
और ये सुन कर गुजरात के सुल्तान बहादुर साह ने उस पर हमाल कर दिया ऐसे में रानी कर्मवती ने अपनी राज्य को बचने में न काम हो गयीतो रानी कर्मवती ने हुमायु सम्राट को राखी भेजा अपनी रक्षा करने के लिए तभी हुमायु सम्राट ने अपनी बहन को रक्षा करने के लिए अपन चितोड़ सेना भेजा tab युद्ध हुआ तो सुल्तान बहादुर साह के सेना पीछे हट गया
सम्राट एलेग्जेंडर और सम्राट पुरु
यह त्यौहार यानि की राखी के पर्व 300BC के कहानी है yah कहानी उस समय की है जब एलेग्जेंडर जब अपनी पुरे सेना लेकरके जब भारत में आया था तो उस समय सम्राट पुरु के बहुत बोलबाल थी यह देख कर या सुन कर काफी परेशान हो गए थे
क्योकि वे कभी किसी से हरा नहीं था तब एलेग्जेंडर ने सम्राट पुरु को लड़ने के लिए ललकारा यह सुन कर स्मार्ट पुरु ने लड़ने के लिए त्यार हो गए तभी लड़ने में अलेक्साडेर की सेना हार गया
तो वे कभी चिंता में थे तो alexander के पत्नी को राखी को जैसे ही पता चला तो वे रखे सम्राट पुरु के पास भेज दिया जिससे सम्राट पुरु अपनी बहन के कभी सुहाग न उजाड़ पाए इस लिए जो युद्ध होना था वे नहीं हुआ ऐसे एलेग्जेंडर को जान से ना मर पाए.
इंद्रदेव की कहानी
इंद्र भगवान स्वर्ग के राजा थे और वे अपनी राज बहुत अच्छे से चलते थे तभी की महर्षि ने कहा की भविष्य में असुर के राज़ राज़ बलि आपके ऊपर अकर्मण कर्जा जिससे आपके बहुत ज्याद शती होगा थी वैसे ही हुआ
अभी यह देख कर इंद्र भगवान के पत्नी सच्ची ने विष्णु भगवान के पास गयी तभी विष्णु ने इस समस्या के समाधान बताये तब विष्णु ने इंद्र के पत्नी सच्ची को एक धागा दिया
और बोले की यह धागे को अपने पति के कलाई पर बांध दो जैसे ही सच्ची ने अपने पति इंद्र भगवान के कलाई पर बंधी तो राज़ बलि पराजित हुआ
इसलिए पुर्जो के जो राजा थे जब युद्ध करने के लिए जाते थे तो अपने सैनिक से बोलते थे जब युद्ध निकालो तो अपनी पत्नी से अपने हाथो में राखी बँधवालो जिससे आप कुशल पूर्वक अपने घर लौट आये.
1. हिन्दू धर्म में रक्षा बंधन कैसे मनाये जाता है-.यह त्यौहार हिन्दू धर्म में बहुत हार्स हुलाशा से मनाया जाता है वही पर उतरी परंत और दक्षिणी परान्त में ज्याद मनाया जाट है और अपने
इसलिए पुर्जो के जो राजा थे जब युद्ध करने के लिए जाते थे तो अपने सैनिक से बोलते थे जब युद्ध निकालो तो अपनी पत्नी से अपने हाथो में राखी बँधवालो जिससे आप कुशल पूर्वक अपने घर लौट आये.
भारत के अलग अलग धर्म में रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है?
भारत में बहुत से अलग अलग धर्म है जिसमे अलग तरिके से रक्षा बंधन मानते है आईये जानते है....1. हिन्दू धर्म में रक्षा बंधन कैसे मनाये जाता है-.यह त्यौहार हिन्दू धर्म में बहुत हार्स हुलाशा से मनाया जाता है वही पर उतरी परंत और दक्षिणी परान्त में ज्याद मनाया जाट है और अपने
देश में रक्षा बंधन तो मानते ही है वही पर नेपाल,पाकिस्तान,मोरिसिष में भी बहुत धूम धाम से मनाया जाता है
2.जैन धर्म में-जैन धर्म में जैन पंडित एक पवित्र धागा देता है बांधने के लिए
2.जैन धर्म में-जैन धर्म में जैन पंडित एक पवित्र धागा देता है बांधने के लिए
3.सिख धर्म में-सिख धर्म में भाई बहन रक्षा बंधन हिन्दू की तरह मानते है लेकिन सिख में राखी को राखदी यानि राखारी कहा जाता है.
भारत में रक्षा बंधन के ये त्यौहार सावन माह के पूर्णिमा के दिन आता हैं ये त्यौहार भाई बहन के स्नेह के डोर में बांधता है रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाई को माथे पर टिका लगाकर राखी बांधती है
और ये त्यौहार सिर्फ बहन के लिए होता है और इन दिन भाई बहन मिलकर खुबा मज़ा से मानते है.
राखी बांधने के शुभ मुहूर्त और पंचांग
इस बार रक्षा बंधन 3 अगस्त 2020 के है जो की हमेशा सवतंत्र दिवस के दिन आते है यह त्यौहार सोम्बर के दिन पद रहा है
राखी बांधने के शुभ मुहूर्त और पंचांग
इस बार रक्षा बंधन 3 अगस्त 2020 के है जो की हमेशा सवतंत्र दिवस के दिन आते है यह त्यौहार सोम्बर के दिन पद रहा है
मैं आपको राखी बांधने की बात करे तो यह शुभ मुहूर्त के बात करे तो मुहूर्त में कुछ दिकत है पर 9 से 10.30 में ka शुभ मुहूर्त है आप रक्षा बंधन 2020 के इन समय में है आप इन समय राखी बांध सकती हो.
2020 में रक्षा बंधन कब है?
इस साल रक्षा बंधन 2020 के 3 अगस्त सोम्बर के दिन हैरक्षा बंधन कैसे मनाये जाते है?
इसे मानाने के लिए कुछ बिधि है जिसे आपको पालन करके रक्ष बंधा मन सकते है तो आइये हम वे विधि को जानते है और रक्षा बंधन ख़ुशी से मानते है....
रक्षा बंधन के दिन सुबह में जल्दी से उठ कर अपने भर के साफ सफाई करते है और उसके बाद नाहा धोवा कर अपने मन और तन को पवित्र कर लेते है उसके बाद में अपने कुल देवी को पूजा पथ करते है?
उसके बाद में बहन एक थाली में राखी,चावल,रोली,दीपक और मिठाई लेकरके अपने प्यारे भाई के पास जाती है और वे अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है
और अपने भाई के रोली से माथे पर चन्दन लगाती है और उसके आरती उतरती है और भगवन से अपने भाई के लम्बी उम्र के परथन करती है और उसको मिठाई खिलाती है.
उसके बाद में भाई अपने बहन के लिए कुछ तोफा देता है और अपनी बहन को रक्षा करने का वजन लेता है की मैं किसी भी मुसीबत में मैं आपसे पहले रहूँगा.
यही है रक्षा बंधन मानाने के विधि
रक्षा बंधन पर कविता?
आज के समय में बहुत से एंड्राइड यूजर है जो की मोबाइल पर सब देखना पसंद करते है वैसे में आप रक्षा बंधन सायरी को खोज रहे है तो आप इस कविता को आप एक बार जरूर देख उम्मीद होगा की आपको ये कविता पसंद आएगा
मुझे उम्मीद है की आप यह पोस्ट बहुत पसंद आये होगा अगर आपको ये है पोस्ट वाकई में अच्छा लगा है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बताये
इस आर्टिकल में लिखे गए जानकारी आपको कुछ न कुछ सीखने को मिला होगा ऐसे ही मज़ेदार पोस्ट पढ़ने लिए हमारे वेबसाइट पर आ सकते है और आपको कोई भी सुझाव चाहिए तो आप हमें कमेंट में लिख सकते है
उसके बाद में भाई अपने बहन के लिए कुछ तोफा देता है और अपनी बहन को रक्षा करने का वजन लेता है की मैं किसी भी मुसीबत में मैं आपसे पहले रहूँगा.
यही है रक्षा बंधन मानाने के विधि
रक्षा बंधन पर कविता?
आज के समय में बहुत से एंड्राइड यूजर है जो की मोबाइल पर सब देखना पसंद करते है वैसे में आप रक्षा बंधन सायरी को खोज रहे है तो आप इस कविता को आप एक बार जरूर देख उम्मीद होगा की आपको ये कविता पसंद आएगा
राखी आयी खुशियां लायीबहन आज फूलें न समाईरखी, रोली और मिठाईइन सब से थाली खूब सजाई !बांधे भाई के कलाई पे धागाभाई से लेती हैं वादारखी की लाज भैया निभानाबहन को कभी भूल न जाना !भाई देता बहन को वचनदुःख उसके सब कर लेंगा हरनभाई बहन का प्यार हैंत्यौहार रखी का न्यारा हैं !
अच्छे भैया मेरे…सबसे प्यारे भैया मेरे…तुम हो मेरे रखवाले…मुझसे ये राखी बन्धवाले…तेरे साथ मैं चलूँगी..मेरे साथ तुम चलना…तेरी रक्षा मैं करुगी..मेरी रक्षा तुम करना..राखी का ये बंधन प्यारा..इस बंधन को बांधे रखना..टूटे ना रिश्तो का धागा…मजबूत अपने इरादे रखना…जब मैं तुमसे रूठ जाऊं..तो तुम मुझे मनाना..जब-जब मैं रोऊँ..तुम मुझे हंसाना..मेरे भैया दूर ना जाना..मुझसे तुम राखी बंधवाना..प्यारे प्यारे भैया मेरे …सबसे अच्छे भैया मेरे….
भाई बहन का शुभ दिन है आजकलाई पर सजा है राखी का ताजबहना की आँखों में है बहुत प्यारभाई के हाथों मिलेगा आज उपहाररक्षा करेगा भाई देता है वचनयूं ही साथ रहेंगे हर जनमआओ मिलकर खाएं हम मिठाईरक्षा बंधन की सबको बधाई!
हर सावन में आती राखी,बहना से मिलवाती राखी…
चाँद सितारों की चमकीली,कलाई को कर जाती राखी…जो भूले से भी ना भूले,मनभावन क्षण लाती राखी,अटूट-प्रेम का भाव धागे सेहर घर में बिखराती राखी…सारे जग की मूल्यवानचीजों से बढकर भाती राखी.सदा बहन की रक्षा करना,भाई को बतलाती राखी!!
राखी आई खुशियाँ लाईबहन आज फूली ना समाईराखी, रोली और मिठाईइन सब से थाली खूब सजाईबाँधे भाई की कलाई पे धागाभाई से लेती है यह वादाराखी की लाज भैया निभाना
बहना को कभी भूल ना जाना
भाई देता बहन को वचनदुःख उसके सब कर लोग हरणभाई बहन को प्यारा हैराखी का त्यौहार सबसे न्यारा है!
मुझे उम्मीद है की आप यह पोस्ट बहुत पसंद आये होगा अगर आपको ये है पोस्ट वाकई में अच्छा लगा है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बताये
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